नीतीश कुमार के सरकार में पत्रकार असुरक्षित,नहीं है कोई ध्यान
खनन निरीक्षक के मिली भगत से हुआ पत्रकार पर हमला।
खबर इस बार संवेदनशील है और साथ में सवाल भी मौजूदा सरकार अपने महलों के चार दिवारी में मजे से राज पाट का लुत्फ उठाने और मंत्रालय का बंदरबांट करने में व्यस्त है लेकिन लगातार पत्रकारों के साथ अभद्रता, मार – पीट और हत्या जैसे संगीन मामले पर सरकार का ध्यान मानों है ही नहीं।अभी कुछ समय पहले पत्रकार की हत्या का मामला आया था अभी पत्रकार उभरे में भी नहीं थे की ताजा मामला रोहतास के डीहरी से आया जहां पत्रकार को अगवा कर जान से मारने का प्रयास किया गया है।
सनसनी खबर रोहतास जिले के काराकाट थाना क्षेत्र के सूकहरा गांव से है। पत्रकार के अपहरण व हमला के मामले बढ़ते ही जा रहे है। वैसे ही एक मामला काराकाट दैनिक पत्रकार अशोक सिंह जो अपने गांव सुकहरा बाजार से चाय पीने गए उसी वक्त सूचना मिली कि राहुल ईट भट्टा सुकहरा पर खनन विभाग और काराकाट थाना की पुलिस पांच अवैध बालू लदे ट्रक को पकड़ा है।
इस दौरान पत्रकार अशोक कुमार सिंह के द्वारा अवैध बालू लदे ट्रक का वीडियो बनाने लगे तो खनन इंस्पेक्टर राहुल कुमार ने वीडियो लेने से माना किया। इसके बाद बालू माफिया और माइनिंग इंस्पेक्टर को ये बात हजम नही हुई और जैसे ही पत्रकार वहां से वीडियो बना कर निकले, उन्हे रास्ते से ही बालू माफियायों के द्वारा चारों तरफ से घेर कर उन्हे जबरन अपने चार चक्का स्कार्पियो में जबरन उठाकर मारते- पीटते गाड़ी में बैठा लिया गया।
बालू माफिया उन्हें किडनैप कर जान से मारने के लिए बारून ले गए और एकांत जगह पर गाड़ी से उतार कर फायरिंग किया। जहां से जैसे-तैसे उनके चंगुल से भागने में कामयाब रहे। पत्रकार पर हमला, अपहरण व उनकी हत्या निरंतर खबरे सुनी जाती हैं।
अब काराकाट की यह मामला दिल को कुरेदने वाली है जहां समाज के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले को दिन की चाकचोबन्द उजाला में पत्रकार को अगवा कर लिया जाता है। हालांकि प्रभात खबर के पत्रकार अशोक कुमार सिंह अपराधियों के चंगुल से बाल- बाल बचे लेकिन इस तरह संगीन अपराध पुलिस प्रशासन व सरकार पर कई सवाल
खड़ा करती है। अभी कुछ दिन पहले ही एक इसी तरह का मामला कुरुर बाजार पर एक वरिष्ठ पत्रकार पर जानलेवा हमला पुलिस को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा किया । जहां पत्रकार से संबंधित एक और मामला बालू माफियाओं व खनन विभाग संयुक्त संयन्त्रों के शिकार हुए है। बालू एवं शराब के अवैध कारोबार करने वाले लोगों के खिलाफ जब मीडिया आवाज उठाती है, तो उन्हें हर संभव कुचलने का प्रयास करने का एक नया दौर शुरू हो गया है। देश का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया जो राष्ट्र के लिए प्रहरी के तौर पर काम करते है, उनकी आवाज न सिर्फ दबाने का प्रयास किया गया, बल्कि
जान से मारने के लिए बारून ले गए और एकांत जगह पर गाड़ी से उतार कर फायरिंग किया। जहां से जैसे-तैसे उनके चंगुल से भागने में कामयाब रहे। पत्रकार पर हमला, अपहरण व उनकी हत्या निरंतर खबरे सुनी जाती है।
जान से मारने की कोशिश भी की गई। काराकाट थानाध्यक्ष फूलदेव चौधरी ने बताया कि पत्रकार अशोक कुमार सिंह के द्वारा दिए गए लिखित आवेदन के आधार पर तीन नामजद सहित पांच अज्ञात आरोपियों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करके मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
इस पर इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के सदस्यों ने कड़ी निन्दा करते हुए प्रशासन से कार्यवाही की मांग करते हुए दुख जताया है। ऐसी घटना को लेकर नीतीश सरकार का कोई ध्यान नहीं है जबकि सरकार अपने मंत्रियों और विधायकों के लिए विशेष सुविधा का ख्याल रखती है लेकिन जनप्रतिनिधियों को आगे बढ़ाने वाले पत्रकार हमेशा असुरक्षित महसूस करते हैं।सरकार अगर जल्द से जल्द कोई नियम पत्रकारों के सुरक्षा और सुविधा के लिए नहीं तैयार करती है तो जल्द ही हम मौजूदा सरकार का विरोध करते हुए सभी पत्रकार साथी प्रदर्शन करेंगे।
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