
कैमूर ज़िले में एक तरफ डीएम सावन कुमार बाल मजदूरी को ले कर लगातार अपने मातहतों को कड़ा निर्देश जारी कर रहे है।डीएम के संवेदनशीलता के बाद भी ज़िले के किराना कपड़ा जूता होटलों आदि प्रतिष्ठानों पर बडे पैमाने पर कराई जा रही बाल मज़दूरी पर नकेल कस पाने में संबंधित विभाग नाकाम रहा है। डीएम के कड़े तेवरों के आगे विभाग एक दो जगह छपेमारी कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। फिर नतीजा ढाक के पात निकलता है। ज़िले में इन दिनों सबसे अधिक बाल मजदूरी पशु तस्करों के साथ देखने को मिल रही है। स्थानीय प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नही है।जानकर बताते है पशु तस्करी के धंधे में शामिल बल श्रमिको को एक जगह से दूसरे स्थान से गाँव गांव से पशु लाने पर अच्छी खासी मोटी रकम मिल जाती है।इतना ही नही पशु तस्कर की कमाई का अंदाज़ा भी नही लगाया जा सकता है।छोटे छोटे तस्करों के पास चार पहिया वाहन मैजिक और पिकप आदि पर भी बाल मज़दूरो को देखा जा सकता है।सूत्र बताते है कभी कभार ये तस्कर या बाल मजदूर पुलिस के हत्थे चढ़ते भी है तो लक्ष्मी लाल प्यारे लाल के बल पर आसानी से छूट भी जाते है।बताया जाता है कि पशु तस्करी में लगे बाल मजदूर शिक्षा से भी दूर है।
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