सासाराम लोक सभा, कमल को कैसे काबू करेगा पंजा , हाथी को करिश्मा का इंतज़ार
लेखक अरशद रज़ा इस चैनल के सम्पादक है लेख आमजन से ली गई मन्त्रणा के बाद तैयार किया गया है
चुनावी चकलस

- सासाराम लोकसभा क्षेत्र में जीतने के बाद बसपा छोड़ सत्ता के लालच में पार्टी बदलने की रही है परंपरा इन दिनों लोकसभा चुनाव का प्रचार प्रसार चरम पर है किस्मत आजमाने वाले प्रत्याशी दिन-रात एक करके जनता का आशीर्वाद मांग रहे हैं ।सासाराम लोकसभा क्षेत्र में जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे प्रत्याशी एक दूसरे पर जहां आरोप प्रत्यारोप लगा कर निजी हमले कर रहे हैं वहीं चुनावी स्थिति भी अब स्पष्ट होती जा रही है। नामांकन के बाद जहां सासाराम क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला बन रहा था लेकिन मतदान की तिथी निकट आते-आते करवट लेती दिखाई पड़ रही है अब मुख्य मुकाबला कांग्रेस बनाम भाजपा होता दिखाई दे रहा है।हालांकि मजबूती से चुनाव लड़ने वाली बसपा अब कांग्रेस से मनोज राम के आने के बाद बाहर होती दिखाई दे रही है।
कॉंग्रेस प्रत्याशी मनोज राम पूर्व में बसपा के ही कैडर के अतिरिक्त लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके है।जहां मोदी लहर में बीजेपी की जीत के बाद भी वोटों का आंकड़ा करीब 80 हज़ार के रहा है। इसके साथ ही कांग्रेस का परंपरागत ब्राह्मण वोट भी इस बार कांग्रेस के साथ ही दिखाई दे रहा है।हालांकि सासाराम लोकसभा क्षेत्र सुरक्षित क्षेत्र है। जिस पर लगातार दो बार से बीजेपी का कब्ज़ा रहा है।छेदी पासवान इस क्षेत्र का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके है। सांसद छेदी पासवान के द्वारा गोद लिए गांव की भी हालत बद नही बदतर है ।केंद्र में सरकार होने के बाद भी सासाराम संसदीय क्षेत्र का विकास नही हो सका।सासाराम क्षेत्र के 4 दर्ज न से अधिक गांव है जहां आज सुविधाओ का अभाव है इन क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी वोट मांगने जाते है तो ज़रूर है ।लेकिन जितने के बाद दुबारा दर्शन देने की बात तो दूर कुशल क्षेम भी नही पूछते ,वर्तमान सांसद के प्रति लोगो का जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है।लोगो का आरोप है कि छेदी पासवान जनता के उम्मीदों पर खरे नही उतर सके।यही कारण है बीजेपी की आलाकमान बखूबी जानती थी जिस कारण कैंडिडेट बदलना पड़ा। बीजेपी प्रत्याशी पूर्व सांसद मुनिलाल राम के पुत्र है।जो मोदी मैजिक के सहारे जबरजस्त ताल ठोक रहे है। मतदान 1 जून को होना है वैसे तो 10 प्रत्याशी ताल ठोक रहे है ,लेकिन मुख्य मुकाबला एनडीए बनाम इंडिया गठबन्धन के बीच बताया जाता है। हालांकि बीएसपी प्रत्याशी मुकाबला को त्रिकोणीय करने में लगे है।लेकिन बसपा से जितने के बाद पूर्व के मंननियो द्वारा पार्टी छोड़ कर अन्य दलों में शामिल होना चर्चा का कारण ही नही बना हुआ है बल्कि बीएसपी प्रत्याशी के लिए बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।
सासाराम लोकसभा क्षेत्र के भभुआ ,मोहनिया और चैनपुर क्षेत्र से बीएसपी से जितने वाले अब तक के विधायक पाला बदलते रहे है।जिसमे भभुआ के पूर्व विधायक स्वर्गीय मंटू पांडेय, रामचन्द्र यादव,चैनपुर से ब्रज किशोर बिंद, महाबली सिंहः,जमा खान,मोहनिया से सुरेश पासी शामिल है।ये सभी जीते बीएसपी पार्टी से और पाला बदल कर अलग अलग पार्टियों में शामिल हो गए ,इतना ही नही भभुआ में आरजेडी के पताका पर विधयक बनने वाले भरत बिंद भी एक समय मे बसपा के मजबूत कैडर जाने जाते थे।जो ज़िला अध्यक्ष से ले कर बीएसपी के प्रदेश अध्य्कः भी रह चुके है,बसपा से चुनावी मैदान में मुंह की भी खानी पड़ी थी।लेकिन राजद के पताक पर 2019 के चुनाव में अल्पसंख्यक वोटों के सहारे विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे है। ये माननीय इस समय कमल का फूल खिला रहे है। राजनैतिक विशेषज्ञ बताते है की बसपा का कैडर वोट ही नही बीजेपी का दलित बोट कांग्रेस की ओर खिसकता दिखाई दे रहा है।

विभिन्न विधानसभा स त्रों से जीतने के बाद माननीय के माननीय को बसवा रास नहीं आती जनता के वोट से जीतने वाले माननीय बसपा छोड़कर पार्टी में भागने की परंपरा से लोगों का मुंह बसपा से दूर होता जा रहा है देखा जाए तो बसपा छोड़कर भागने वाले माननीय की पेरिस एक दो नहीं लंबी है जिसमें भारतबेन जमा का महाबली सिंह ब्रजकिशोर बिल सुरेश पासी मंटू पांडे रामचंद्र यादव का नाम शामिल है चर्चाओं की माने तो या राजनीतिक शिक्षण की माने तो यही कारण है कि बस आप चुनावी लड़ाई से बाहर होती दिखाई दे रही है जिसका सीधा फायदा सासाराम लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस को मिलता दिखाई पड़ रहा है ।I

यहां बता दे कि 1 जून को मतदान होना है और 4 जून को परिणाम आनी है,जीत किसकी होगी ये बता पाना मुश्किल है।लेकिन जैसे जैसे मतदान की तिथि निकट आ रही है वैसे वैसे स्थिति भी स्पष्ट होती जा रही है।

बहरहाल कहना आसान नही होगा लेकिन देखना यह दिलचस्प होगा क्या जनता क्या पंजा का साथ देगी या कमल को हैट्रिक लगाएगी, या मजबूत दमदार कद काठी वाली हाथी कोई करिश्मा कर सकेगी।

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