【Report ~syed arshad raza shahabad times kaimur desk】(9304587652)

बक्सर ज़िला के चौसा प्रखंड अंतर्गत बनारपुर, कोचढीं एवं मोहनपूरवा में पुलिस द्वारा अपने मुआवज़े की माँग को लेकर धरना दे रहे किसानों पर की गई लाठीचार्ज की घटना की तीव्र निंदा चहुं ओर से हो रही है।वही सोशल मीडिया पर जम कर भर्त्सना हो रही है। पुलिस के इस अमानवीय कार्य पर राजद नेता व रामगढ़ विधायक सुधाकर सिंह ने भी, कड़े शब्दों में मैं निंदा व्यक्त की औरघटना स्थल पर जाकर पीड़ित परिवारों से मिले। उन्होंने मीडिया को ब्रीफ करते हुए बताया कि

गांव वालों ने बताया कि पुलिस बल ने विनाशकारी शक्ति के साथ उनके घरों पर निर्ममतापूर्वक हमले किए। लाठियों से बेरहमी से लोगों की पिटाई की गई और महिलाओं, बच्चों तथा वृद्ध नागरिकों पर भी बर्बर हमले हुए।
इस दौरान पुलिस ने सिर्फ लोगों पर ही नहीं हमला किया, बल्कि उनकी निजी संपत्ति को भी जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया। फर्नीचर, वाहन, बिजली के उपकरण, पालतू जानवरों और इमारतों समेत संपत्ति को तहस-नहस कर दिया गया। लोग यह भी आरोप लगा रहे हैं कि पुलिसकर्मियों ने न केवल उनकी संपत्ति को बर्बाद किया, बल्कि आभूषण और अन्य महंगी चीजें भी चुरा लीं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पुलिसकर्मियों ने बिना किसी अनुमति के लोगों के घरों में प्रवेश किया और द्वारा पुरुष कांस्टेबल द्वारा महिलाओं पर शारीरिक हमले किए गए, जो मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। ऐसी निरंकुश कार्रवाई से स्पष्ट है कि पुलिस में अभी भी मानवीय संवेदनाओं की कमी है।

यह पुलिस अत्याचार बिहार सरकार और मुख्यमंत्री द्वारा किसानों के प्रति अपनाई गई कठोर नीतियों का ही परिणाम है। किसानों पर लाठियां बरसाना, उनके घरों को तोड़ना और संपत्ति लूटना बिहार सरकार का घोर कृत्य है। इस घटना की भर्त्सना की जानी चाहिए और केंद्र और राज्य सरकार पर लज्जा आनी चाहिए कि उसने गरीब किसानों के साथ इतनी निर्दयता की। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री अपने कृत्यों पर शर्मिंदा होने के बजाय चुप्पी साधे बैठे हैं, जो बेहद निंदनीय है।

हम इस घटना की एक पूर्ण निष्पक्ष जांच और दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग करते हैं। साथ ही, हिरासत में लिए गए लोगों की वर्तमान स्थिति, स्वास्थ्य और चिकित्सा सहायता की भी जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। उनके परिवारों को भी आश्वस्त किया जाना चाहिए कि भविष्य में ऐसा अमानवीय व्यवहार नहीं किया जाएगा।
साथ ही, पीड़ितों को न्याय और मुआवजा दिया जाना चाहिए। ऐसी घटनाएं न केवल अंदरूनी शांति को बाधित करती हैं, बल्कि मानवाधिकारों के उल्लंघन का भी उदाहरण हैं…
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