मुख्य अतिथि रहे जिला सत्र न्यायाधीश।

आज दिनाक 30.06.2024 को समय 10:00 बजे पूर्वाहन जिला प्रोबेशन कार्यालय, भभुआ (कैमूर) के प्रांगण में बिहार राज्य में The Probation of offenders Act, 1958 के आलोक में बिहार में दिनांक 15 जून 1959 से लागू बिहार अपराधी परिवीक्षा नियमावली, 1959 (The Probation of offenders Rules, 1959) के विविध प्रावधानों को जनसाधारण के मध्य प्रचार-प्रसार, जागरूकता लाने एवं प्रोबेशन कार्यों को गतिशीलता एवं उत्कृष्टता प्रदान करने हेतु जून माह को प्रोबेशन माह के रूप में मनाने एव माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में कार्यशाल का आयोजन किया गया। जिसमें आमंत्रित समान्नित अतिथियों में उप विकास आयुक्त, भभुआ (कैमूर), माननीय CJM भभुआ (कैमूर), जिला अभियोजन पदाधिकारी, भभुआ (कैमूर), अधीक्षक, मण्डल कारा, भभुआ (कैमूर) एवं जिला प्रोबेशन कार्यालय भभुआ में पदस्थापित सभी प्रोबेशन पदाधिकारी व कर्मी उपस्थित रहे।

इस कार्यशाला में प्रोबेशन सेवा के सुदृढिकरण एवं जनसाधारण तक इसकी पहुँच को सरल, सहज एवं सुगम बनाने हेतु जिला अभियोजन पदाधिकारी के द्वारा बताया गया कि समाजिक सुधार में प्रोबेशन की अहम एवं महती भूमिका है. खासकर विधि विवादित किशोराअवस्था को प्राप्त कर चुके बच्चों के सुधार एवं समाज के मुख्यधारा में शामिल करने हेतु प्रोबेशन की महता को उजागर किया। कार्यशाला में उपस्थित अधीक्षक मण्डल कारा भभुआ द्वारा बताया गया कि कारा के अन्दर बंदियों की समयपूर्व रिहाई, पैरोल, अपराध पीड़ित जाँच, बंदियों की काउन्सिलिंग, बंदी प्रशिक्षण, शैक्षणिक कार्यक्रम के साथ साथ उन्होने यह भी बताया कि कारामुक्ति के पश्चात् बंदियों के पूर्नवास में प्रोबेशन पदाधिकारियों की बढ़ती भूमिका को उजागर किया।

इस अवसर पर कार्यशाला में उपस्थित माननीय मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, भभुआ (कैमूर) के द्वारा बताया गया कि प्रोबेशन क्या है इसका महत्व क्या है, यह समाज को किस हद तक सकारात्मक नजरिया प्रदान करता है कैसे कोई भी व्यक्ति द्वारा गैर इरादतन तरीके से अपराध कर जाता है जिसका उसे पाश्चाताप भी है उसे कैसे समाज की मुख्य धारा में लाने का एक न्यायिक अवसर प्रदान करता है। साथ ही साथ उन्होने बताया कि अगर विधि विवादित एक भी किशोर को सुधार जाय व मुख्य धारा लाया जाय तो प्रोबेशन की उदेश्यों की पूर्ति होती है व एक सकारात्मक समाज के निर्माण में अहम भूमिका महत्वपूर्ण होती है। साथ ही 01 जुलाई 2024 से नये कानून “भारतीय न्याय संहिता” पर चर्चा करते हुए समुदायिक सर्विस में प्रोबेशन पदाधिकारी की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया।
इस कार्यशाला में उपस्थित उप विकास आयुक्त भभुआ (कैमूर) के द्वारा बताया गया कि सामान्य अपराधी को जघन्य अपराधी बनने से रोकेन में प्रोबेशन पदाधिकारी की अहम भूमिका होती है। एवं बंदियों के कारा अवधि में सुधार एवं कौशल प्रशिक्षण पर ज्यादा प्रयास करने की बात की गयी। साथ ही साथ उन्होने प्रोबेशन ऑफेन्डर एक्ट को ग्राम पंचायत तक पहुँचाने में जिला प्रशासन के सहयोग का पूर्ण आश्वासन दिया।
इस प्रोवेशन माह के कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए माननीय न्यायाधीश जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय के द्वारा प्रोबेशन ऑफ ऑफेन्डर एक्ट के विविध प्रावधानों को जन समान्य तक पहुँचाने हेतु इन्होने महात्मा गाँधी के उस चर्चित कथन का अल्लेख किया गया कि “अपराध से घृणा करों अपराधी से नहीं।” इन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि जो बंदी जेल निरूद्ध के पश्चात् समाज में वापस आते है तो वेरी बंदियों में अपराध करने की प्रकृति में कोई विशेष बदलाव देखने को नहीं मिलत्ता है जो समाज के लिए चिंता का विषय है। प्रोबेशन ऑफ ऑफेन्डर एक्ट का लक्ष्य की भी
सुधारात्मक दृष्टिकोण पर आधारित है। उदाहरण के लिए उन्होने बताया कि “संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 60% अपराधियों को प्रोबेशन का लाभ दिया जाता है।” प्रोबेशन एक्ट के प्रभावी कियान्यवयन हेतु न्यायिक पदाधिकारियों एवं प्रोबेशन पदाधिकारियों के सहयोग एवं समन्वय की बात कही गयी। साथ ही साथ बंदियों के पूर्नवास में प्रोबेशन की बढ़ती महतता को उजागर किया । कार्यशाला के समापन पर सांस्कृतिक
कार्यक्रम के अन्तर्गत श्री मनोज कुमार सौमित्र की पुस्तक का भी विमोचन माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कर कलमों के द्वारा किया गया। साथ ही साथ इन्होने अपनी काव्य पाठ्य की प्रस्तुत की। इसी कम में जेल अधीक्षक श्री संदीप कुमार के द्वारा भी एक गीत” न तुम हम जानो, ना हम तुम्हे जाने” का प्रस्तुतीकरण किया गया। कार्यशाला का समापन उप विकास आयुक्त भभुआ (कैमूर) के द्वारा “पल पल दिल के पास” गीत गाकर किया गया।
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